गाव में एक पंडित था जो गाव के एक बोहोद पुराने मंदिर का पुजारी था उस गाव में दो भगवान के मंदिर एक ही साथ था 1 भगवान शिवजी ( महादेव देवो के देव ) ओर दसरा उस मंदिर के काम देव की मूर्ति थी काम देव सेक्स के भगवान थे गाव में ये मानते थे की एस मदिर में जो भी सचे दिल से मागे गा उस की मुराद ज़रूर पूरी हो गी पुजारी अब काफी बुध हो गया था उस की उमर 75 वारस की हो गई थी ओर उस ने अभी तक सदी नहीं की थी
गाव की काफी ओरतो के साथ पुजारी के नाज़येस सबंध थे जो सर पुजारी ओर उन ओरतो के बिच की ही बात था पुजारी वेसे तो बोहोद भोला बन के रहे ता है लेकिन अंडर से एक दब भूख भेरिया है जो और तो के जिसम का प्यासा है एक दिन एक परिवार गाव में रहे ने आया था जिस में एक बूढी माँ ओर उस की एक लोटी बेटी थी और बूढी ओरत का एक पति बेटी का नाम मनीषा था उस के उमर 16 साल की थी उस की सदी हो गई थी ओर उस के सदी के पहे ले ही साल में उस के पति की मोट हो गई थी ओर उस के पेट में एक बछा पल रहा था जो उस को मारा हुवा पेदा हुवा था
एस लिए उस के सास ससुर ने मनीषा को घर से बहार निकल दिया कियो उन को ये लगता था की उन के बेटे के मोट की जिमेदार उन को बहु मनीषा है एस लिए अब मनीषा एक विधवा लड़की थी उस की सदी बोहोद कम उमर में हो गई थी मनीषा के माँ बाप दो नो एक गाव से दूर स्कूल में 1,5 तक की कक्षा में बचे को पढ़ा ते थे वो दो नो सुभ चले जाते थे ओर साम को आते थे करीब 8:40 pm को मनीषा एक बोहोद अछि लड़की थी उस ने अपने पति के मर जाने के बाद दूसरी सदी नहीं की ओर विधवा का जीवन बिता रही थी
एक दिन की बात है गाव का एक आदमी जो पुजारी का दोस था उस ने एक दिन बातो बातो में गाव में ए हुए एस नए परिवार के बारे में या ओर कहा की बेचरी लड़की की किस्मत कितनी बुरी है इतनी कम उमर में विधवा हो गई तब पुजारी ने कहा की अरे तुम उस लड़की को एस हमरे गाव के मदिर में आने को कियो नहीं बोलते सायद एस मदिर में आके उस की भी तख्दिर बदल जाये ये मदिर बड़ा चमत करी है ओर पुजारी का दोस बोल ठीक है में आज ही उन को बोलू गा
ओर ओर जब साम हो गई तो मनीषा के माँ बाप घर पे आये तब पुजारी का दोस भी घर पे आया ओर बोल अरे घर पे कोई है तब मनीषा ने दरवाजा खोल ओर बोली आये अंडर आये ओर जब पुजारी का दोस अंडर आया तो उन नो ने कहा की आप लोगो के साथ हुवा वो बोहोद बुरा हुवा लेकिन अब किस्मत से कोण लड़ सकता है खेर ये साडी बाते छोरी ये हमरे एस गाव में आप सब रहे ने ए ये बोहोद अच्छा किया हमारे गाव में एक बोहोद पुराना मंदिर है जहा लोगो का ये कहे न है की वह पे जो भी सचे दिल से मागो गे वो ज़रु मिले गा आप सब को भी उस मंदिर में जाना चाही ये
ये बात सुन के मनीषा के पिताज़ी ने कहा की हां ज़रु जाये गे लेकिन हम तो सुभे से बहर ही होते है साम को घर आते है हमरी बेटी मनीषा ज़रु ए गे मंदिर ओर मनीषा को एस सब चीजों में बोहोद विस्वास था मंदिर भगवन वो इन सब में बोहोद मान टी थी एस लिए वो दस रे दिन साम को मदिर गई ओर जब वो साम गो मनीषा मंदिर गई थी तब पुजारी की नज़र मनीषा पे पड़ी उस के मुह से तो जेसे लार टपक पड़ी मनीषा को देख के जेसे अभी वो मनिस का बलात्कार कर देता लेकिन पुजारी ने अपनी आप को संभल लिया ओर वो मनीषा के पास जा के उस से बात चित कर ने लगा की
आप लोगो का पारीवार आया है गाव में ओर पुजारी बात चित कर ते कर ते मनीषा के कमर ओर पीठ पे अपनी नज़रो के तीर चला रहा था ओर पुजारी ने कहा की बेटी ये पीछे के मंदिर में भी चद देना ओर मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी ओर वो पीछे वाले मंदिर में चली गई वह काम देव का मदिर था ओर दीवारों पे सेक्स के मुर्तिया था जिस में अलग अलग आसोनो में सेक्स की मूर्ति को बनाया गया था ये सब देख के मनीषा थोड़ी गरम हो गई थी ओर वो हर एक मूर्ति को धियान पूरवक से देख रही थी उस को ये मुर्तिया थोड़ी अछि लग ने थी मनीषा भी एक 16 की लड़की थी विधवा तो किया हुवा उस के भी दिल के अरमान है और पुजारी भी पीछे मंदिर में आगया पुजारी को देख के मनीषा सरमा गई ओर बहार आ गई
ओर पुजारी भी बहार आके पूछा अरे बेटी मनीषा तुम बहार कियो चली आई पुजारी जी वह कुछ मुर्तिया थी एस लिए बहार चली आई और फिर मनीषा मंदिर से घर चली आई ओर दुसरे दिन फिर वो मंदिर आई ओर एस बार भी पुजारी ने मनीषा से बात चित करता रहा ताकि वो मनीषा के ओर करीब आजा ये पुजारी ने पूछा की तुम हरेव घर में कोन कोन पुजारी जी में ओर मेरे माँ बाप मेरे पति का स्वर्ग वास हो गया है एक अक्सिदंत में ओ बेटी सुन के बोहोद दुःख हुवा की तुम इतनी कम उमर में विधवा बन ने विधा की जिन्द्दगी बिता रही हो
फिर पुजारी ने पूछा की बीटा तुम ने अपने पति का सराद तो कर वय ही होगा न मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी ओर बीटा मनीषा ये बता ओ की तुम हरे पति की उम्र किया थी तो मनीषा ने कहा की पुजारी जी 19 साल के होगे मेरे पति तब पुजारी ने कहा ओह्ह बीटा इतनी कम उमर में ही मोट हो गई तब तो बता तुम ने सराद के साथ शारीरिक उनुसंधन करवाया या नहीं मनीषा ने ये पहे ली बार सुना है लिए वो सोच में पद गई ओर बोल पड़ी पुजारी जी ये उनुसंधन किया होता है पुजारी ने कहा की जब कोई बोहोद कम उमर में मर जाता है जेसे की तुम हरे पति उस उमर में कुछ मानसिक और शारीरिक इच्छा ये अधूरी ही रहे जाती है जिस के वजा से मर ने वाले आत्मा भटक टी रहे टी है
ओर उस आत्मा को मोक्स की प्राप्ति नहीं होती है ओर जब तक आत्मा को मोक्स की प्राप्ति न हो तब तक उस आत्मा को दूसरा जनम नहीं होता है ओर वो यू जी इधर उधर भटक टी रहे टी है ओर तड़पती रहे टी है ये सुन के मनीषा दर गई ओर बोली की हम ने तो सिर्फ सरद ही कर वय है जो मर ने के बाद कर वाते है उनुसंधा तो नहीं कर वाय है एस में किया होता है ओर एस उनुसंधन को केसे करवाते है एस की विधि किया है पुजारी जी तब पुजारी ने कहा की देखो बेटी एस पूजा में जो इन्सान मर गया होता है ना उस की कुछ अच्छा ये पूरी नहीं होती है एस लिए वो इच्छा को मोहो माया के से मुक्त करा ने के लिए ये पूजा कर वाई जाती है ये पूजा 7 दिन की होती है
मनीषा ये बात सुन के थोड़ी चिंता में पद गई ओर सोच ने लगी की उस के ये पूजा करवा नि चाहिये ये उस के मरे हुवे पति की आत्मा के सन्ति की बात है मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी में ये पूजा करवा वू गी कुर्पिया आप ये बता ये की एस पूजा के लिए हम को किया किया सामग्री चाहिए होगी पुजारी ने कहा की बेटी तुम उस की ज़रा सी भी चिंता न करो तुम सिर्फ मुझे 3,500 रुपिये दे दो में पूजा की साडी सामग्री ले लूग ओर पुजारी ने कहा की बेटी एक बात का धियं रहे ये पूजा गुप्त्निये रख नि है तुम को एस पूजा के बारे में किसी को भी नहीं बता न है अगेर तुम ने एस पूजा के बारे में किस को भी बता दिया तो तुम हरे पति की आत्मा को कभी मुक्ति नहीं मिले गे ओर उस की आत्मा हमेसा भटक टी रहेगी
मनीषा ने कहा जी पुजारी जी में समज गई आप ने जेसा कहा है में वेसा ही कर गी मनीषा ने कहा की पुजारी जी पूजा हम मंदिर में ही रखे गे न पुजारी ने कहा की नहीं बेटी ये पूजा के बारे में किसी को भी पता नहीं चल न च ही ये एस लिए गाव के पुराने खान्दर जहा कामदेव के मूर्ति है वाही पूजा करे गे 4 दिन वाही पूजा करे गे ओर बाकि के 3 दिन तुम हरे घर पूजा कर नि होगी पुजारी ने सिच समाज के उस गुफा को चुना कियो सब लोगो का मान ना है की वहा पे भूत परत है ये साडी अफ्वाये पुजारी ने है फेला राखी थी ताकि वो अपने के काम काज उस गुफा में कर सके
उस गुफा में चारो ओर सेक्स आसन की मुर्तिया थी दिवालो में जो अलग अलग पोस्ट में सेक्स की क्रिया ये करते थे पुजारी ने कहा की तुम दोपर को 2 बजे आजाना ओर हम वाही गुफा में अपनी पूजा सुरु करे गे कल हुई ओर पुजारी ने गुफा में सब से पहे ले जा के गुफा में एक याग्न मंडप ओर बाकि साडी पूजा की समग्र ला के रख दी ओर जेसे ही 2 बजे मनीषा आगे ओर पुजारी ने कहा की बेठो बेटी मेरे पास आके बठो अब देखो बेटी हम पूजा सुरु कर ने जा रहे है पूजा सुरु हो एस पहे ले तुम को पवित्र होना पड़े ग एस गुफा के अंडर एक है वह के पानी से तुम नह के आजा न ओर वह में ने एक कपडे रखे है वो ही पहे के आजा न वह पे सिर्फ एक हरे रंग की साडी थी ओर कुछ भी न ही पेटीकोट और नहीं ब्लाव्स कुछ नहीं था बस एक हरे रंग की साडी थी जो बोहोद छोटी थी मनीषा ने नाह धो के वो पहेन ली मनीषा ने वो साडी अपने कमर पे ओर एक भागग उस ने अपने साइन से होते हुवे पीछे से साडी को लिप्त लिया ओर बहार आगे ओर जब पुजारी ने पूजा सुरु की तो मनीषा का धियं दीवारों पे गया जहा पे नागी नागी मर्दोकी ओर ओरतो की मुर्तिया थी जो सेक्स आसनों में थी ये सब देख के मनीषा सरम के मरे लाल हो रही थी ओर साथ ही साथ वो गरम भी हो रही थी
ओर मनीषा की चूत से पानी निकल के जरह था वो 2 बार तो जड़ चुकी थी दीवरो में वो मुर्तिया देख के अब पुजारी ने कुछ मन्त्र भी बोल ने सुरु कर दिए थे ओर पूजा ऋ जी हर मन्त्र को बोल ने के बाद अग्नि में थोडा तेल दाल के स्वाहा बोल ले जरा हा था ओर 3 करीब घंटे के बाद पुजारी ने कहा की अ बेटी तुम मेरे पास आके बेठो ओर ये रस पान ग्रहण करो उस रसपान में पुजारी ने थोड़ी सी मिला दी थी जिस से मनीषा को थोडा थोडा नासा भी हो रहा था ओर अब पुजारी ने कहा की बेटी तुम अपने हाथ से मेरी पीठ पे पानी दाल के साफ़ करो पहे ले तो मनीषा ये कर ने में सरमा रही थी लेकिन बाद में पुजारी ने कहा की तुम ऐ से नहीं अकरो गी तो तुम हरे पति की आत्मा को सन्ति नहीं मिले गे आगे ले दिन फिर पुजारी ने मनीषा को रस पिला के कहा की अब तुम फिर से मेरे पीठ ओर मेरे साइन के भाग को पानी दाल के सफ्फ करो गी ओर बिच ब्बिच बिच में ॐ का जाप भी करो गी
मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी आप जेसा कहे अब मनीषा को भी पुजारी की पीठ ओर साइन पे हाथ लगा न अच लग रहा था उस के पति के मर जाने के एक साल बाद वो कीस मरद के जिसम को छुर्ही थी ओर आज की पूजा भी समप हो गई ओर मनीषा अपने घर चली गई घर पोची तो उस के माँ बाप पहे ले से ही आगये थे उन नो ने पूछा की मनीषा बेटी तुम कहा चली गई थी तो मनीषा को पुजारी बात का धियं रख ते हुए कहा की वो मंदिर दरसन कर ने के लिए गई थी
फिर मनीषा के माँ बाप ने मनीषा को बता या की वो 4 दिन के लिए कल बहार जा रहे है कियो मनीषा की माँ के मुह बोले भाई के बेटी की सदी है मनीषा के माँ बाप ने काहा की बेटी तुम भी चलो लेकिन मनीषा ने मन कर दिया ओर मनीषा के माँ बाप साम को तरें से 4 दिन के लिए चले गये ओर अब 2 तक के दिन पूजा के हो गए थे आज 3 दिन था ओर पुजारी ने फिर से वाही सब पूजा में किया ओर बोल एस बार पुजारी अब के 3 दिन पूजा सफलता पूर्वक पूरी हो गई है अब बचे 4 दिन ये चार दिन अब पूजा तुम हरे में हो गी पे हे ले तो पुजारी ने कहा की हम दोपर में पूजा करो गे जब मनीषा के माँ बाप अपने काम पे चले जाये गे लेकिन बाद में मनीषा ने कहा की उस के माँ बाप सदी में गए है 4 दिन के के बाद ही लोटे गे ये सुन के
पुजारी ने कहा तो फिर अब हम पूजा रात को ही रखे गे कियो पहे ले तुम हरे माँ बाप थे एस लिए ये प्रोग्राम हम ने दोपर को रखा था अभी जब वोहो ही नहीं है अब हम ये रात को ही रखे गे हम रात के ठीक 11 बागे आय गे मनीषा बेटी तुम हरे घर मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी ओर पुजारी ने सोच लिया था की आज तो वो मनीषा को चोद के ही छोरेगा आज हर हालत में मनिसः को पुजारी चोद ने वाला था ओर वो टाइम आगया रात हो गई थी 10:55 मिनिट हो गई थी तभी डोर बेल बजी ओर मनीषा ने दरवाजा खोल ओर कहा की आये पुजारी जी में आप का ही इन्तजार कर रही थी
पुअज्रि अपने साथ एक बोहोद बड़ा ठेला ले के आया था ओर मनीषा को कहा की देखो आज हम एस पूजा की सब से बड़ी चीज़ कर ने जा रहे है तुम एक काम करो एस घर के जितने भी दरवाजे है और खिडकिय उन सब को बांध कर दो ताकि कोई बाहरी की बुरी सकती घर में ना आसके गी ओर मनीषा ने ऐ सा ही किया घर के सरे दरवाजे खिडकिय बांध कर ली अब पुजारी ने पूजा का सर सामान एक जो की होल था उस में ही पूजा की साडी सामग्री लगा के एक याग्न में आग जल के मंत्र पढ़ ने लगा था ओर कुछ देर बाद पुजारी ने मनीषा को का हा की में ने तुम को कुछ मुर्तिया दुगा अब तुम उस मूर्ति ओ को नेहे ल न है अपने हाथो से साफ़ कर के मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी
जेसे ही पुजारी ने अपने ठेले में से वो मुर्तिया निकली तो मनीषा चोक पड़ी कियो की वो मुर्तिया किसी पुरुस की थी ओर वो भी नागी मुर्तिया ओर उन 3 मूर्ति ओ में हर मूर्ति के लिंग बड़ा था ये सब देख के मनीषा सरम रही थी तभी पुजारी ने कहा की देखो मनीषा बेटी तुम हरे पति के लिए हम ये पूजा पर्थ कर व रहे है एस लिए में तुम को बता रहा हु तुम हरे पति कम उमर में स्वर्ग वासी हो गए थे एस लिए उन की काम इच्छा पूरी नहीं हुई है एस लिए ये काम देव की मुर्तिया है अब हम 4 दिन कामदेव की पुँज करे गे ओर कामदेव को प्रसन करे गे और अगेर कामदेव प्रसन हो गए तो उन की कृपा से तुम्हरे पति की आत्मा की इच्छा सम्पूर हो जाये गी
ओर तुम हरे पति को मुक्ति मिल जाए गी और मनीषा ने ये सब सुन के कहा की जी पुअज्रि जी में आप की बात समज गई ओर मनीषा उन मूर्ति ओ को एक एक कर के रगड़ रगड़ के अपने हाथो से साफ़ कर ने लगी उस दो रन मनीषा को अच्छा लग रहा था उस मूर्ति को नागे आव्स्ता में देख को ओर उस मूर्ति के लिंग ( लंड ) को छू के वो 2 बार जड़ चुकी थी उस के बाद पुअज्रि ने कहा की मनीषा बेटी ये अब तक की पूजा का है ये अमृत रस वो थी ओर मनीषा को पूजारी ने कहा की तुम एस को पि लो ओर अब पूजा के लिए तुम अपने कपडे बदल लो में तुम हरे लिए पूजा के कपडे ले के आया हु एस बार पुजारी ने एक ब्लाव्स जिस में पीछे के ओर हुक थे ओर पुअज्रि ने वो सादे हुक तोर दिए थे ओर सिर्फ एक हुक लगा के रखा थे वो भी थोडा टुटा हुवा था
ओर एक पेटी कोट दिया था लाल रंग का था ओर अंडर के लिए जेसे पांति ओर ब्रा वो नहीं दी ही थी सिर्फ 1 ब्लाव्स 2 पेटीकोट लाल रंग के ओर साडी भी नहीं दी थी ओर अब तो मनीषा को भी थोडा नासा हो रह था उस के पास दाग मग रहे थे ओर मनीषा वो 2 कपडे पह न तो लिए लेकिन के थोड़े बड़े थे जिस के वजा से वो पीछे का आखरी हुक भी टूट गया ओर मनीषा ने फिर एक चादर ले के पीछे से लिपट ली ओर बहार आगे ओर पुजारी ने देख तो उस ने गुस में आके कहा की बेटी गैर तुम को ये पूजा पार्ट नहीं कर व न हो तो मुझे बोल दो में चला जाता हु मनीषा दर गई ओर बोली पुजारी जी मुज से कोई गलती हो गई पुअज्रि ने कहा की में न तुम को किया कपडे दिए थे ओर तुम कित लपेट के आई हो फिर मनीषा को वो चादर अपने आप से अलग का रने पड़ी
मनीषा को सिर्फ पेटीकोट ओर ब्लाव्स में देख के पुजारी का लंड खड़ा हो गया था पुजारी के आखो में एक अजीब सी चमक दिख रही थी ओर तभी मनीषा को पुजारी ने उस के पास बेथ ने को कहा ओर मनीषा ने जो सरब पि थी उस के वजा से मानिशा के पाँव डगमगा गए ओर वो पुजारी के उपर गिर पड़ी पुजारी ने एस बात का पूरा फायदा उठा या ओर 2 सेकेंड के ही लिए उस ने मनीषा के बूब्स को दबा लिया था ओर फिर जल्दी से मनीषा पुअरि के उपर से हाथ एक सेड में बेथ गई ओर
अरो फिर पुजारी ने साम ने ओर कुछ दस ऋ मुर्तिया राखी थी जिस में काम देव कुछ ओरतो के साथ सेक्स वासना के कुछ अनुलिया आसन कर रहे थी ओर जी में कामदेव का लिंग ( लंड ) उस दूसरी ओरत के चूत में अंडर गुसा हुवा था ये सब देख के मनीषा फिर एक बार जड़ गई ओर वो सरमा रही थी ओर एस लिए वो नीछे देख रही थी तभी पुअरि ने कहा की ये लो ये दस रा सोम रस है ऐसे बोल के पुअरि ने एक ओर बार थोडा सी सरब पिला दी ओर कुछ ही देर में फिर मनीषा के उपर सरब का आसार हो ने लगा था अब मानसिह थोड़ी थोड़ी नसे में थी
अब पुजारी ने कहा की मनीषा अब हम को काम देव को प्रसन कर ना है एस लिए अब में अपनी सकती ओह्ह के बल पे तुमतुम्हारे मरे हुवे पति की आत्मा को में पने बॉडी में दलु गा लेकिन में तुम हरे पति की आत्मा को सिर्फ अपने सरीर के कीस एक अंग में ही दलुगा मनीषा ने कहा ठीक है पुअज्रि जी ओर पुजारी जुट मुठ के मंत्र बोलने लगा ओर कुछ ही देर में पजरी ऐ से एक्टिंग कर ने लगा जेसे उस के सरीर में सच में कोई आत्मा घुस गई हो लेकिन ये सब पुजारी का नाटक था पुजारी ने मनीषा को कहा की देखो तुम हरे पति की आत्मा मेरे सरीर में आगई है तुम हरे पति की आत्मा मेरे सरीर के लिंग ( लंड ) के हिस्स में समां गई है ओर पुजारी ने जुट मुठ का ये बोल दिया ओर कहा के बती अब में तुमहारे पति की इच्छा को पुअर करना होगा
मनीष बोली की पुजारी जी वो केसे मनीषा अभी भी नसे में थी ओर पुजारी ने कहा की अब तुमहारे पति की कुछ इन्छा अभी तक नहीं पुरि हुई है जेसे कामवासना की एस लिए ये तुम हारे पति की आत्मा मेरे लिंग ( लंड ) में सामगी है अब तुम मेरे पास आवो अब मुजे तुम को तुम्हरे पति की आत्मा से मिलवाना होगा
अब तुम मेरे आवो ओर अपने दोनों पाव को खोल दो ओर मेरे दोनों पेरो के बिच में आजा ओ जेसे ही मनीषा पुजारी के दोनों टैंगो के बिच में आगे तो मनीषा के पेटी कोट खुल गया ओर वो थोडा उपर होगया ओर मनीषा की चूत सामने आगे थी मनीषा की चूत एक दम साफ़ थी उस पे कोई बाल न था ओर अब पुजारी ने भी जान बच के अपनी धोती को ढीला कर दिया ओर अपने टाइगर लंड जो 10 इंच का था उस को मनीषा की चूत के छेड़ में पुजारी का लंद का सुपरहा छूराहां था
और पुजारी ने अचा नक् की कमर के पीछे हाथ दाल के अपने ओर जोर से खीच लिया ओर एस के वजा से पुजारी का 10 इंच लम्बा लंड ओर 1 इंच मोटा लंड मनीषा की छुट को चुर्ता हुवा अंडर तक पोच गया ओर खून भी निकला थोडा सा चूत गीली थी एस लिए लंड आसानी से चूत के गहेराइ ओ में समां गया ओर तब मनीषा दर्द के मरे चिल पड़ी ओर बोली की पुजारी जी ये आप किया कर रहे है तब पुजारी ने कहा की बेटी तुम हरे पति की आत्मा मेरे लिंग ( लंड ) में समां गिया है ओर वो ऐ से ही छह टी है तुम अब अपने पति के लंड से ही चुदवा रही हो ऐ से ही सोचो मनीषा को कुछ समाज में नहीं आरहा था ओर पुजारी अपनी कमर को धीरे धीरे से जत के मार के लंड को मनीषा की चूत के अंडर रहा था
अब तक के 10 मिनिट हो गए थे अब तो मनीषा को भी अच्छा लग ने लगा था अब पुजारी ने अपने हाथ मनीषा के पीठ पे लेजा के मनीषा का ब्लाव्स को पीछे से ख्होल दिया ओर मनीषा के बड़े बड़े बूब्स को आजाद कर दिया ओर पुजारी ने अपनी धोती भी खीच के फेक दी ओर अब पुअज्रि पूरा नागा था सिर्फ मनीषा ने ही पेटीकोट पेहेन रखा था ओर पुजारी का लैंड मनीषा की चूत में गुस पड़ा था ऐ सा लग रहा था की पुजारी का लंड मनीषा की चूत में ही रहे न चाह ता था ओर अब पुजारी ने मनीषा के एक बूब्स के निपुल्स को अपने मुह में ले लिया ओर जोर जोर से चूस ने लगा ओर इधर मनीषा की जान निकल ने लगी थी ओर मनीषा के बूब्स से धुध भी निकल रहा था कियो की उस को एक बछ हुवा था मानसिह को लेकिन वो मर हुवा फ़यदा हुवा एस लिए मनीषा के बोबस में धुध भरा हाव था
इधर पुजारी मनीषा को चोद भी रहा है ओर साथ ही साथ उस का पुरा धुध भी निकल निकल के पिअर है उधर मनीषा बेहोस सी हो गई थी उस को कुछ समाज में नहीं आरहा तह लेकिन मज़ा ज़रूर आरहा था ओर इधर पुअज्रि भी तेज तेज जटके मार रहा था इतने तेज जाट के मार रहा था के हर एक जत के में मनिशा पूरी हिल रही थी
अब मनीषा के से भी आवाज़ आने लगी थी अहहहा हम्म्म ममम्म रररर ररर ग्ग्ग्ग्गाऐई लेकिन पुजारी तो अब ओर भी जोर जोर से चोद रहा था मनीषा को अब तक 1 घंते से भी जियादा समय हो गया था ओर अब पुजारी भी ज़द गया मनीषा की चूत में ही अपना सारा विरिया दाल दिया अब पुअज्रि मनीषा से अलग हो गया ओर जाने लगा ओर कल फिर आव्य्गा ओर ऐ से बोल के चला गया एस तरह से पुजारी ने मनीषा को लगा तार कही महीनो तक चोद ता रहा कभी अपने घर बुला के तो कभी गाव से गुफा में बुला के
आप सब को ये story कहानी केसे लगी
गाव की काफी ओरतो के साथ पुजारी के नाज़येस सबंध थे जो सर पुजारी ओर उन ओरतो के बिच की ही बात था पुजारी वेसे तो बोहोद भोला बन के रहे ता है लेकिन अंडर से एक दब भूख भेरिया है जो और तो के जिसम का प्यासा है एक दिन एक परिवार गाव में रहे ने आया था जिस में एक बूढी माँ ओर उस की एक लोटी बेटी थी और बूढी ओरत का एक पति बेटी का नाम मनीषा था उस के उमर 16 साल की थी उस की सदी हो गई थी ओर उस के सदी के पहे ले ही साल में उस के पति की मोट हो गई थी ओर उस के पेट में एक बछा पल रहा था जो उस को मारा हुवा पेदा हुवा था
एस लिए उस के सास ससुर ने मनीषा को घर से बहार निकल दिया कियो उन को ये लगता था की उन के बेटे के मोट की जिमेदार उन को बहु मनीषा है एस लिए अब मनीषा एक विधवा लड़की थी उस की सदी बोहोद कम उमर में हो गई थी मनीषा के माँ बाप दो नो एक गाव से दूर स्कूल में 1,5 तक की कक्षा में बचे को पढ़ा ते थे वो दो नो सुभ चले जाते थे ओर साम को आते थे करीब 8:40 pm को मनीषा एक बोहोद अछि लड़की थी उस ने अपने पति के मर जाने के बाद दूसरी सदी नहीं की ओर विधवा का जीवन बिता रही थी
एक दिन की बात है गाव का एक आदमी जो पुजारी का दोस था उस ने एक दिन बातो बातो में गाव में ए हुए एस नए परिवार के बारे में या ओर कहा की बेचरी लड़की की किस्मत कितनी बुरी है इतनी कम उमर में विधवा हो गई तब पुजारी ने कहा की अरे तुम उस लड़की को एस हमरे गाव के मदिर में आने को कियो नहीं बोलते सायद एस मदिर में आके उस की भी तख्दिर बदल जाये ये मदिर बड़ा चमत करी है ओर पुजारी का दोस बोल ठीक है में आज ही उन को बोलू गा
ओर ओर जब साम हो गई तो मनीषा के माँ बाप घर पे आये तब पुजारी का दोस भी घर पे आया ओर बोल अरे घर पे कोई है तब मनीषा ने दरवाजा खोल ओर बोली आये अंडर आये ओर जब पुजारी का दोस अंडर आया तो उन नो ने कहा की आप लोगो के साथ हुवा वो बोहोद बुरा हुवा लेकिन अब किस्मत से कोण लड़ सकता है खेर ये साडी बाते छोरी ये हमरे एस गाव में आप सब रहे ने ए ये बोहोद अच्छा किया हमारे गाव में एक बोहोद पुराना मंदिर है जहा लोगो का ये कहे न है की वह पे जो भी सचे दिल से मागो गे वो ज़रु मिले गा आप सब को भी उस मंदिर में जाना चाही ये
ये बात सुन के मनीषा के पिताज़ी ने कहा की हां ज़रु जाये गे लेकिन हम तो सुभे से बहर ही होते है साम को घर आते है हमरी बेटी मनीषा ज़रु ए गे मंदिर ओर मनीषा को एस सब चीजों में बोहोद विस्वास था मंदिर भगवन वो इन सब में बोहोद मान टी थी एस लिए वो दस रे दिन साम को मदिर गई ओर जब वो साम गो मनीषा मंदिर गई थी तब पुजारी की नज़र मनीषा पे पड़ी उस के मुह से तो जेसे लार टपक पड़ी मनीषा को देख के जेसे अभी वो मनिस का बलात्कार कर देता लेकिन पुजारी ने अपनी आप को संभल लिया ओर वो मनीषा के पास जा के उस से बात चित कर ने लगा की
आप लोगो का पारीवार आया है गाव में ओर पुजारी बात चित कर ते कर ते मनीषा के कमर ओर पीठ पे अपनी नज़रो के तीर चला रहा था ओर पुजारी ने कहा की बेटी ये पीछे के मंदिर में भी चद देना ओर मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी ओर वो पीछे वाले मंदिर में चली गई वह काम देव का मदिर था ओर दीवारों पे सेक्स के मुर्तिया था जिस में अलग अलग आसोनो में सेक्स की मूर्ति को बनाया गया था ये सब देख के मनीषा थोड़ी गरम हो गई थी ओर वो हर एक मूर्ति को धियान पूरवक से देख रही थी उस को ये मुर्तिया थोड़ी अछि लग ने थी मनीषा भी एक 16 की लड़की थी विधवा तो किया हुवा उस के भी दिल के अरमान है और पुजारी भी पीछे मंदिर में आगया पुजारी को देख के मनीषा सरमा गई ओर बहार आ गई
ओर पुजारी भी बहार आके पूछा अरे बेटी मनीषा तुम बहार कियो चली आई पुजारी जी वह कुछ मुर्तिया थी एस लिए बहार चली आई और फिर मनीषा मंदिर से घर चली आई ओर दुसरे दिन फिर वो मंदिर आई ओर एस बार भी पुजारी ने मनीषा से बात चित करता रहा ताकि वो मनीषा के ओर करीब आजा ये पुजारी ने पूछा की तुम हरेव घर में कोन कोन पुजारी जी में ओर मेरे माँ बाप मेरे पति का स्वर्ग वास हो गया है एक अक्सिदंत में ओ बेटी सुन के बोहोद दुःख हुवा की तुम इतनी कम उमर में विधवा बन ने विधा की जिन्द्दगी बिता रही हो
फिर पुजारी ने पूछा की बीटा तुम ने अपने पति का सराद तो कर वय ही होगा न मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी ओर बीटा मनीषा ये बता ओ की तुम हरे पति की उम्र किया थी तो मनीषा ने कहा की पुजारी जी 19 साल के होगे मेरे पति तब पुजारी ने कहा ओह्ह बीटा इतनी कम उमर में ही मोट हो गई तब तो बता तुम ने सराद के साथ शारीरिक उनुसंधन करवाया या नहीं मनीषा ने ये पहे ली बार सुना है लिए वो सोच में पद गई ओर बोल पड़ी पुजारी जी ये उनुसंधन किया होता है पुजारी ने कहा की जब कोई बोहोद कम उमर में मर जाता है जेसे की तुम हरे पति उस उमर में कुछ मानसिक और शारीरिक इच्छा ये अधूरी ही रहे जाती है जिस के वजा से मर ने वाले आत्मा भटक टी रहे टी है
ओर उस आत्मा को मोक्स की प्राप्ति नहीं होती है ओर जब तक आत्मा को मोक्स की प्राप्ति न हो तब तक उस आत्मा को दूसरा जनम नहीं होता है ओर वो यू जी इधर उधर भटक टी रहे टी है ओर तड़पती रहे टी है ये सुन के मनीषा दर गई ओर बोली की हम ने तो सिर्फ सरद ही कर वय है जो मर ने के बाद कर वाते है उनुसंधा तो नहीं कर वाय है एस में किया होता है ओर एस उनुसंधन को केसे करवाते है एस की विधि किया है पुजारी जी तब पुजारी ने कहा की देखो बेटी एस पूजा में जो इन्सान मर गया होता है ना उस की कुछ अच्छा ये पूरी नहीं होती है एस लिए वो इच्छा को मोहो माया के से मुक्त करा ने के लिए ये पूजा कर वाई जाती है ये पूजा 7 दिन की होती है
मनीषा ये बात सुन के थोड़ी चिंता में पद गई ओर सोच ने लगी की उस के ये पूजा करवा नि चाहिये ये उस के मरे हुवे पति की आत्मा के सन्ति की बात है मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी में ये पूजा करवा वू गी कुर्पिया आप ये बता ये की एस पूजा के लिए हम को किया किया सामग्री चाहिए होगी पुजारी ने कहा की बेटी तुम उस की ज़रा सी भी चिंता न करो तुम सिर्फ मुझे 3,500 रुपिये दे दो में पूजा की साडी सामग्री ले लूग ओर पुजारी ने कहा की बेटी एक बात का धियं रहे ये पूजा गुप्त्निये रख नि है तुम को एस पूजा के बारे में किसी को भी नहीं बता न है अगेर तुम ने एस पूजा के बारे में किस को भी बता दिया तो तुम हरे पति की आत्मा को कभी मुक्ति नहीं मिले गे ओर उस की आत्मा हमेसा भटक टी रहेगी
मनीषा ने कहा जी पुजारी जी में समज गई आप ने जेसा कहा है में वेसा ही कर गी मनीषा ने कहा की पुजारी जी पूजा हम मंदिर में ही रखे गे न पुजारी ने कहा की नहीं बेटी ये पूजा के बारे में किसी को भी पता नहीं चल न च ही ये एस लिए गाव के पुराने खान्दर जहा कामदेव के मूर्ति है वाही पूजा करे गे 4 दिन वाही पूजा करे गे ओर बाकि के 3 दिन तुम हरे घर पूजा कर नि होगी पुजारी ने सिच समाज के उस गुफा को चुना कियो सब लोगो का मान ना है की वहा पे भूत परत है ये साडी अफ्वाये पुजारी ने है फेला राखी थी ताकि वो अपने के काम काज उस गुफा में कर सके
उस गुफा में चारो ओर सेक्स आसन की मुर्तिया थी दिवालो में जो अलग अलग पोस्ट में सेक्स की क्रिया ये करते थे पुजारी ने कहा की तुम दोपर को 2 बजे आजाना ओर हम वाही गुफा में अपनी पूजा सुरु करे गे कल हुई ओर पुजारी ने गुफा में सब से पहे ले जा के गुफा में एक याग्न मंडप ओर बाकि साडी पूजा की समग्र ला के रख दी ओर जेसे ही 2 बजे मनीषा आगे ओर पुजारी ने कहा की बेठो बेटी मेरे पास आके बठो अब देखो बेटी हम पूजा सुरु कर ने जा रहे है पूजा सुरु हो एस पहे ले तुम को पवित्र होना पड़े ग एस गुफा के अंडर एक है वह के पानी से तुम नह के आजा न ओर वह में ने एक कपडे रखे है वो ही पहे के आजा न वह पे सिर्फ एक हरे रंग की साडी थी ओर कुछ भी न ही पेटीकोट और नहीं ब्लाव्स कुछ नहीं था बस एक हरे रंग की साडी थी जो बोहोद छोटी थी मनीषा ने नाह धो के वो पहेन ली मनीषा ने वो साडी अपने कमर पे ओर एक भागग उस ने अपने साइन से होते हुवे पीछे से साडी को लिप्त लिया ओर बहार आगे ओर जब पुजारी ने पूजा सुरु की तो मनीषा का धियं दीवारों पे गया जहा पे नागी नागी मर्दोकी ओर ओरतो की मुर्तिया थी जो सेक्स आसनों में थी ये सब देख के मनीषा सरम के मरे लाल हो रही थी ओर साथ ही साथ वो गरम भी हो रही थी
ओर मनीषा की चूत से पानी निकल के जरह था वो 2 बार तो जड़ चुकी थी दीवरो में वो मुर्तिया देख के अब पुजारी ने कुछ मन्त्र भी बोल ने सुरु कर दिए थे ओर पूजा ऋ जी हर मन्त्र को बोल ने के बाद अग्नि में थोडा तेल दाल के स्वाहा बोल ले जरा हा था ओर 3 करीब घंटे के बाद पुजारी ने कहा की अ बेटी तुम मेरे पास आके बेठो ओर ये रस पान ग्रहण करो उस रसपान में पुजारी ने थोड़ी सी मिला दी थी जिस से मनीषा को थोडा थोडा नासा भी हो रहा था ओर अब पुजारी ने कहा की बेटी तुम अपने हाथ से मेरी पीठ पे पानी दाल के साफ़ करो पहे ले तो मनीषा ये कर ने में सरमा रही थी लेकिन बाद में पुजारी ने कहा की तुम ऐ से नहीं अकरो गी तो तुम हरे पति की आत्मा को सन्ति नहीं मिले गे आगे ले दिन फिर पुजारी ने मनीषा को रस पिला के कहा की अब तुम फिर से मेरे पीठ ओर मेरे साइन के भाग को पानी दाल के सफ्फ करो गी ओर बिच ब्बिच बिच में ॐ का जाप भी करो गी
मनीषा ने कहा की जी पुजारी जी आप जेसा कहे अब मनीषा को भी पुजारी की पीठ ओर साइन पे हाथ लगा न अच लग रहा था उस के पति के मर जाने के एक साल बाद वो कीस मरद के जिसम को छुर्ही थी ओर आज की पूजा भी समप हो गई ओर मनीषा अपने घर चली गई घर पोची तो उस के माँ बाप पहे ले से ही आगये थे उन नो ने पूछा की मनीषा बेटी तुम कहा चली गई थी तो मनीषा को पुजारी बात का धियं रख ते हुए कहा की वो मंदिर दरसन कर ने के लिए गई थी
फिर मनीषा के माँ बाप ने मनीषा को बता या की वो 4 दिन के लिए कल बहार जा रहे है कियो मनीषा की माँ के मुह बोले भाई के बेटी की सदी है मनीषा के माँ बाप ने काहा की बेटी तुम भी चलो लेकिन मनीषा ने मन कर दिया ओर मनीषा के माँ बाप साम को तरें से 4 दिन के लिए चले गये ओर अब 2 तक के दिन पूजा के हो गए थे आज 3 दिन था ओर पुजारी ने फिर से वाही सब पूजा में किया ओर बोल एस बार पुजारी अब के 3 दिन पूजा सफलता पूर्वक पूरी हो गई है अब बचे 4 दिन ये चार दिन अब पूजा तुम हरे में हो गी पे हे ले तो पुजारी ने कहा की हम दोपर में पूजा करो गे जब मनीषा के माँ बाप अपने काम पे चले जाये गे लेकिन बाद में मनीषा ने कहा की उस के माँ बाप सदी में गए है 4 दिन के के बाद ही लोटे गे ये सुन के
पुजारी ने कहा तो फिर अब हम पूजा रात को ही रखे गे कियो पहे ले तुम हरे माँ बाप थे एस लिए ये प्रोग्राम हम ने दोपर को रखा था अभी जब वोहो ही नहीं है अब हम ये रात को ही रखे गे हम रात के ठीक 11 बागे आय गे मनीषा बेटी तुम हरे घर मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी ओर पुजारी ने सोच लिया था की आज तो वो मनीषा को चोद के ही छोरेगा आज हर हालत में मनिसः को पुजारी चोद ने वाला था ओर वो टाइम आगया रात हो गई थी 10:55 मिनिट हो गई थी तभी डोर बेल बजी ओर मनीषा ने दरवाजा खोल ओर कहा की आये पुजारी जी में आप का ही इन्तजार कर रही थी
पुअज्रि अपने साथ एक बोहोद बड़ा ठेला ले के आया था ओर मनीषा को कहा की देखो आज हम एस पूजा की सब से बड़ी चीज़ कर ने जा रहे है तुम एक काम करो एस घर के जितने भी दरवाजे है और खिडकिय उन सब को बांध कर दो ताकि कोई बाहरी की बुरी सकती घर में ना आसके गी ओर मनीषा ने ऐ सा ही किया घर के सरे दरवाजे खिडकिय बांध कर ली अब पुजारी ने पूजा का सर सामान एक जो की होल था उस में ही पूजा की साडी सामग्री लगा के एक याग्न में आग जल के मंत्र पढ़ ने लगा था ओर कुछ देर बाद पुजारी ने मनीषा को का हा की में ने तुम को कुछ मुर्तिया दुगा अब तुम उस मूर्ति ओ को नेहे ल न है अपने हाथो से साफ़ कर के मनीषा ने कहा की ठीक है पुजारी जी
जेसे ही पुजारी ने अपने ठेले में से वो मुर्तिया निकली तो मनीषा चोक पड़ी कियो की वो मुर्तिया किसी पुरुस की थी ओर वो भी नागी मुर्तिया ओर उन 3 मूर्ति ओ में हर मूर्ति के लिंग बड़ा था ये सब देख के मनीषा सरम रही थी तभी पुजारी ने कहा की देखो मनीषा बेटी तुम हरे पति के लिए हम ये पूजा पर्थ कर व रहे है एस लिए में तुम को बता रहा हु तुम हरे पति कम उमर में स्वर्ग वासी हो गए थे एस लिए उन की काम इच्छा पूरी नहीं हुई है एस लिए ये काम देव की मुर्तिया है अब हम 4 दिन कामदेव की पुँज करे गे ओर कामदेव को प्रसन करे गे और अगेर कामदेव प्रसन हो गए तो उन की कृपा से तुम्हरे पति की आत्मा की इच्छा सम्पूर हो जाये गी
ओर तुम हरे पति को मुक्ति मिल जाए गी और मनीषा ने ये सब सुन के कहा की जी पुअज्रि जी में आप की बात समज गई ओर मनीषा उन मूर्ति ओ को एक एक कर के रगड़ रगड़ के अपने हाथो से साफ़ कर ने लगी उस दो रन मनीषा को अच्छा लग रहा था उस मूर्ति को नागे आव्स्ता में देख को ओर उस मूर्ति के लिंग ( लंड ) को छू के वो 2 बार जड़ चुकी थी उस के बाद पुअज्रि ने कहा की मनीषा बेटी ये अब तक की पूजा का है ये अमृत रस वो थी ओर मनीषा को पूजारी ने कहा की तुम एस को पि लो ओर अब पूजा के लिए तुम अपने कपडे बदल लो में तुम हरे लिए पूजा के कपडे ले के आया हु एस बार पुजारी ने एक ब्लाव्स जिस में पीछे के ओर हुक थे ओर पुअज्रि ने वो सादे हुक तोर दिए थे ओर सिर्फ एक हुक लगा के रखा थे वो भी थोडा टुटा हुवा था
ओर एक पेटी कोट दिया था लाल रंग का था ओर अंडर के लिए जेसे पांति ओर ब्रा वो नहीं दी ही थी सिर्फ 1 ब्लाव्स 2 पेटीकोट लाल रंग के ओर साडी भी नहीं दी थी ओर अब तो मनीषा को भी थोडा नासा हो रह था उस के पास दाग मग रहे थे ओर मनीषा वो 2 कपडे पह न तो लिए लेकिन के थोड़े बड़े थे जिस के वजा से वो पीछे का आखरी हुक भी टूट गया ओर मनीषा ने फिर एक चादर ले के पीछे से लिपट ली ओर बहार आगे ओर पुजारी ने देख तो उस ने गुस में आके कहा की बेटी गैर तुम को ये पूजा पार्ट नहीं कर व न हो तो मुझे बोल दो में चला जाता हु मनीषा दर गई ओर बोली पुजारी जी मुज से कोई गलती हो गई पुअज्रि ने कहा की में न तुम को किया कपडे दिए थे ओर तुम कित लपेट के आई हो फिर मनीषा को वो चादर अपने आप से अलग का रने पड़ी
मनीषा को सिर्फ पेटीकोट ओर ब्लाव्स में देख के पुजारी का लंड खड़ा हो गया था पुजारी के आखो में एक अजीब सी चमक दिख रही थी ओर तभी मनीषा को पुजारी ने उस के पास बेथ ने को कहा ओर मनीषा ने जो सरब पि थी उस के वजा से मानिशा के पाँव डगमगा गए ओर वो पुजारी के उपर गिर पड़ी पुजारी ने एस बात का पूरा फायदा उठा या ओर 2 सेकेंड के ही लिए उस ने मनीषा के बूब्स को दबा लिया था ओर फिर जल्दी से मनीषा पुअरि के उपर से हाथ एक सेड में बेथ गई ओर
अरो फिर पुजारी ने साम ने ओर कुछ दस ऋ मुर्तिया राखी थी जिस में काम देव कुछ ओरतो के साथ सेक्स वासना के कुछ अनुलिया आसन कर रहे थी ओर जी में कामदेव का लिंग ( लंड ) उस दूसरी ओरत के चूत में अंडर गुसा हुवा था ये सब देख के मनीषा फिर एक बार जड़ गई ओर वो सरमा रही थी ओर एस लिए वो नीछे देख रही थी तभी पुअरि ने कहा की ये लो ये दस रा सोम रस है ऐसे बोल के पुअरि ने एक ओर बार थोडा सी सरब पिला दी ओर कुछ ही देर में फिर मनीषा के उपर सरब का आसार हो ने लगा था अब मानसिह थोड़ी थोड़ी नसे में थी
अब पुजारी ने कहा की मनीषा अब हम को काम देव को प्रसन कर ना है एस लिए अब में अपनी सकती ओह्ह के बल पे तुमतुम्हारे मरे हुवे पति की आत्मा को में पने बॉडी में दलु गा लेकिन में तुम हरे पति की आत्मा को सिर्फ अपने सरीर के कीस एक अंग में ही दलुगा मनीषा ने कहा ठीक है पुअज्रि जी ओर पुजारी जुट मुठ के मंत्र बोलने लगा ओर कुछ ही देर में पजरी ऐ से एक्टिंग कर ने लगा जेसे उस के सरीर में सच में कोई आत्मा घुस गई हो लेकिन ये सब पुजारी का नाटक था पुजारी ने मनीषा को कहा की देखो तुम हरे पति की आत्मा मेरे सरीर में आगई है तुम हरे पति की आत्मा मेरे सरीर के लिंग ( लंड ) के हिस्स में समां गई है ओर पुजारी ने जुट मुठ का ये बोल दिया ओर कहा के बती अब में तुमहारे पति की इच्छा को पुअर करना होगा
मनीष बोली की पुजारी जी वो केसे मनीषा अभी भी नसे में थी ओर पुजारी ने कहा की अब तुमहारे पति की कुछ इन्छा अभी तक नहीं पुरि हुई है जेसे कामवासना की एस लिए ये तुम हारे पति की आत्मा मेरे लिंग ( लंड ) में सामगी है अब तुम मेरे पास आवो अब मुजे तुम को तुम्हरे पति की आत्मा से मिलवाना होगा
अब तुम मेरे आवो ओर अपने दोनों पाव को खोल दो ओर मेरे दोनों पेरो के बिच में आजा ओ जेसे ही मनीषा पुजारी के दोनों टैंगो के बिच में आगे तो मनीषा के पेटी कोट खुल गया ओर वो थोडा उपर होगया ओर मनीषा की चूत सामने आगे थी मनीषा की चूत एक दम साफ़ थी उस पे कोई बाल न था ओर अब पुजारी ने भी जान बच के अपनी धोती को ढीला कर दिया ओर अपने टाइगर लंड जो 10 इंच का था उस को मनीषा की चूत के छेड़ में पुजारी का लंद का सुपरहा छूराहां था
और पुजारी ने अचा नक् की कमर के पीछे हाथ दाल के अपने ओर जोर से खीच लिया ओर एस के वजा से पुजारी का 10 इंच लम्बा लंड ओर 1 इंच मोटा लंड मनीषा की छुट को चुर्ता हुवा अंडर तक पोच गया ओर खून भी निकला थोडा सा चूत गीली थी एस लिए लंड आसानी से चूत के गहेराइ ओ में समां गया ओर तब मनीषा दर्द के मरे चिल पड़ी ओर बोली की पुजारी जी ये आप किया कर रहे है तब पुजारी ने कहा की बेटी तुम हरे पति की आत्मा मेरे लिंग ( लंड ) में समां गिया है ओर वो ऐ से ही छह टी है तुम अब अपने पति के लंड से ही चुदवा रही हो ऐ से ही सोचो मनीषा को कुछ समाज में नहीं आरहा था ओर पुजारी अपनी कमर को धीरे धीरे से जत के मार के लंड को मनीषा की चूत के अंडर रहा था
अब तक के 10 मिनिट हो गए थे अब तो मनीषा को भी अच्छा लग ने लगा था अब पुजारी ने अपने हाथ मनीषा के पीठ पे लेजा के मनीषा का ब्लाव्स को पीछे से ख्होल दिया ओर मनीषा के बड़े बड़े बूब्स को आजाद कर दिया ओर पुजारी ने अपनी धोती भी खीच के फेक दी ओर अब पुअज्रि पूरा नागा था सिर्फ मनीषा ने ही पेटीकोट पेहेन रखा था ओर पुजारी का लैंड मनीषा की चूत में गुस पड़ा था ऐ सा लग रहा था की पुजारी का लंड मनीषा की चूत में ही रहे न चाह ता था ओर अब पुजारी ने मनीषा के एक बूब्स के निपुल्स को अपने मुह में ले लिया ओर जोर जोर से चूस ने लगा ओर इधर मनीषा की जान निकल ने लगी थी ओर मनीषा के बूब्स से धुध भी निकल रहा था कियो की उस को एक बछ हुवा था मानसिह को लेकिन वो मर हुवा फ़यदा हुवा एस लिए मनीषा के बोबस में धुध भरा हाव था
इधर पुजारी मनीषा को चोद भी रहा है ओर साथ ही साथ उस का पुरा धुध भी निकल निकल के पिअर है उधर मनीषा बेहोस सी हो गई थी उस को कुछ समाज में नहीं आरहा तह लेकिन मज़ा ज़रूर आरहा था ओर इधर पुअज्रि भी तेज तेज जटके मार रहा था इतने तेज जाट के मार रहा था के हर एक जत के में मनिशा पूरी हिल रही थी
अब मनीषा के से भी आवाज़ आने लगी थी अहहहा हम्म्म ममम्म रररर ररर ग्ग्ग्ग्गाऐई लेकिन पुजारी तो अब ओर भी जोर जोर से चोद रहा था मनीषा को अब तक 1 घंते से भी जियादा समय हो गया था ओर अब पुजारी भी ज़द गया मनीषा की चूत में ही अपना सारा विरिया दाल दिया अब पुअज्रि मनीषा से अलग हो गया ओर जाने लगा ओर कल फिर आव्य्गा ओर ऐ से बोल के चला गया एस तरह से पुजारी ने मनीषा को लगा तार कही महीनो तक चोद ता रहा कभी अपने घर बुला के तो कभी गाव से गुफा में बुला के
आप सब को ये story कहानी केसे लगी
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